बेटी-बहिन-पत्नी आ माय बनि,
जे हर रूप मे अछि उपकारी।
धरती पर ईश्वरक वरदान,
देवी रूप मे अछि नारी।
बेटी अछि बापक अरमान,
बहिन अछि भायक सम्मान।
पत्नी होइत अछि पतिक मुस्कान,
माय बेटाक शरीरक प्राण।
जीवन मे सभक अपन महत्व छै,
सभ मिल बनेलक दुनियाँदारी।
धरती पर ईश्वरक वरदान,
देवी रूप मे अछि नारी।
परेशानी नहि बेटी देख सकैए,
बहिन नहि देखि सकै बेचैन।
पत्नी समाधान मे लागय,
माय छोड़ै छै अन्न आ पानि।
सभ रूप मे मदति करैत अछि,
सभ रूप मे अछि हितकारी।
धरती पर ईश्वरक वरदान,
देवी रूप मे अछि नारी।
बेटी अछि बापक दुलार,
बहिन अछि भायक प्यार।
पत्नी पति केँ श्रृंगार,
माय अछि बेटाक जीवनक आधार।
चारू जिनगी केँ पहिया छै,
जेना चारि पहिया पर चलै गाड़ी।
धरती पर ईश्वरक वरदान,
देवी रूप मे अछि नारी।
---कमलेश प्रेमेंद्र-------
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