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Saturday, 18 November 2017

पावस पीड़


राति  पावस  घोर  घन  गर्जन
दामिनि दमकि डराबय |
वैरिन  पवन  संग  दादुर  बोल 
अंतस   पीड़   बढ़ाबय ||
            प्रीतम  वास परदेस रे--
षोड़स  वसन्त  रंग दर्शन पारे
युगल गिरवर तनधारै  |
पवन  पयोधरि  वसन उघारय 
अगिन दहन मन जारै ||
               के  देत सजन  उदेश रे---
मानिनि  मन  बड अभिभानी
अंतस हेलि हिलोरय |
सकल  विकलता नैने  नाचय
विरहे  प्रीत घोरय ||
            मन दर्शन हरि अशेष रे ---
हिरदय  आँगन गोकुल मथुरा 
राधा वृन्दावन माँझे |
वन वन मन डोलय सदिखन
वाँछा  दरशन साँझे ||
              धरू प्रीतम नटवर वेष रे- 

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