दामिनि दमकि डराबय |
वैरिन पवन संग दादुर बोल
वैरिन पवन संग दादुर बोल
अंतस पीड़ बढ़ाबय ||
प्रीतम वास परदेस रे--
प्रीतम वास परदेस रे--
षोड़स वसन्त रंग दर्शन पारे
युगल गिरवर तनधारै |
पवन पयोधरि वसन उघारय
अगिन दहन मन जारै ||
के देत सजन उदेश रे---
मानिनि मन बड अभिभानी
अंतस हेलि हिलोरय |
सकल विकलता नैने नाचय
विरहे प्रीत घोरय ||
मन दर्शन हरि अशेष रे ---
मन दर्शन हरि अशेष रे ---
हिरदय आँगन गोकुल मथुरा
राधा वृन्दावन माँझे |
वन वन मन डोलय सदिखन
वाँछा दरशन साँझे ||
धरू प्रीतम नटवर वेष रे-
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