सगरो मचलै दुखक शोर।
मायक मोन छोट भ'गेलै,
फिफरी परलै बापक ठोर।
केहन कपार भेल बेटा केँ,
अभागलि सँ बियाह भेलै।
दैबो केँ नै ऐहन चाही,
पोताक मनोरथ नै पुरलै।
ई कहि,बाबा केँ मुँह लटकि गेलै,
दाइ केँ आँखि सँ खसलै नोर।
बेटी - बेटी- बेटी भेलै,
सगरो मचलै दुखक शोर।
की बेटी ऐहन अभागलि होई छै ,
जन्में सँ सभ कानै छै।
बेटी बिना श्रृष्टि नै चलतै
से त' सभ कियो जानै छै।
बेटी होई छै घरक लक्ष्मी,
जुनि बनियौ औकरा लेल कठोर।
बेटी - बेटी - बेटी भेलै,
सगरो मचलै दुखक शोर।
बेटी नहि अभिशाप थीक,
ओ थीक ईश्वरक वरदान।
घरक इज्जत प्रतिष्ठा संगे
माय बापक बढबै मान।
जाहि घर बेटी जनमलै,
ओ घर भेलै इजोर।
बेटी- बेटी- बेटी भेलै ,
सगरो मचलै दुखक शोर ।
बेटा-बेटी मे जुनि अन्तर बुझियौ,
बेटियो के दियौ सम्मान।
की छै ओकर अपन अहि जग मे,
एक दिन अपनो भ' जायत दान।
बेटी के जुनि करियौ अपमान,
कर जोड़ि लगै छी सभ केँ गोर।
प्रेमेन्द्र लगै छैथ सभ केँ गोर
बेटी - बेटी - बेटी भेलै,
सगरो मचलै दुखक शोर,
मायक मोन छो ट भ'गेलै,
फिफरी परलै बापक ठोर।
रचित -
कमलेश प्रेमेन्द्र
आहपुर-दामोदरपुर,बेनीपट्टी
मधुबनी , मिथिला , बिहार
मधुबनी , मिथिला , बिहार
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