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Wednesday 14 December 2016

नमन हे ! अमर शहीद विकास ||

नमन हे !अमर शहीद विकास !
रामचन्द्र मिश्र “मधुकर”|
नयन ज्योति मिथिला जननी के ,भारत माँ केर हृदय प्रकाश !
नमन हे ! अमर शहीद विकास ||
जीवन पथ कर्तव्य चुनल जे देशक सेवा |
राष्ट्रक सीमा घुसपैठी आतंकी रोकब |
देश प्रवेश करय पाबय नहि ओ नापाकी ,
दुश्मन केर छाती केँ गोली बम सँ ठोकब |
सतत सजगता आतंकी दल केलन्हि सत्यानाश |
नमन हे ! अमर शहीद विकास ||
रहल लड़ैत दिवस निशि रक्षा सीमा केर करैत |
बिछि बिछि के ओ ताकि ताकि के आतंकी मारैत |
देशक रक्षा खातिर राखल तन मन केर नहि ध्यान |
घात लगा के दुश्मन गोली मारल लेलक प्राण |
तैयो जय भारत कहि कहि केँ, छोड़ल अंतिम श्वास |
नमन हे ! अमर शहीद विकास ||
मिथिला वीर सपूत गमाओल ,भारत माँ निज रक्षक लाल |
अमर नाम यश बलिदानी केर ,स्वर्णाक्षर इतिहासक भाल |
धन्य ओ वीर प्रसूता जननी !धन्य धन्य मिथिला के अवणी,
मधुकर धन्य सपूत मैथिलक , धन्य गाम रैयाम प्रकाश |
नमन !हे !अमर शहीद विकास ||
***************मधुकर ****************

14/12/2016

Friday 18 November 2016

{ जनगीत } हम मिथिले मे रहबै

तिरहुत नगरिया तेजि कत्तहु ने जेबै, हे! हम मिथिले मे रहबै |
घरे मे हमरा चारू धाम , हे! हम मिथिले मे रहबै ||
जनकक धीया सीया हमरो बहिनियाँ , हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
पाहुन हमर सीरी राम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
एहन कोमल भूमि कत्तहु ने पाएब ,हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
स्वर्गो सँ सुन्नर हमर गाम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
कमला आ कोशी गंडक नदिया बहै छै हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
दक्षिण जग पावन गंगाधार , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
फल –फूल अन्न साग अनुपम सुआद्क हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
रसगर ओ मिठगर आम लताम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
पान ओ मखान माँछ सरगो ने भेटय हे! हम मिथिले मे रहबै ,
जते बेर जन्म होय मिथिले मे जनमी हे !हम मिथिले मे रहबै ,
‘मधुकर’ ई मिथिला ललाम , हे ! हम मिथिले मे रहबै ||
**********************मधुकर ********************************

2/11/2016

Friday 4 November 2016

सामयिक प्रसंग


&&मिथिलाक छठिव्रत -नहाय खाय आ खरना विधान&&
चौठ सँ भऽ प्रारम्भ सप्तमी तिथि तक, छठि व्रत करब नियम |
लोक आस्था केर पावनि ई ,श्रद्धा भाव भक्ति अनुपम ||
चौठ- नहाय –खाए के विधि अछि ,परम्पराक करब पालन |
मिथिला के घर घर ई पावनि, विधि वत नियमक अनुपालन ||
चौठ - नहाय -खाय -----
खरना सँ पहिनेँ चौठक तिथि ,नदी स्नान निरामिष खाए |
ली संकल्प आराधन हेतुक , देहु मनोरथ माए पुराय ||
व्रती राति मे भूमि शयन कर ,पूर्ति हेतु मन के मनकाम |
गाबय गीत सुनय जाग्रत मन , रहय लैत षष्ठी के नाम ||
अरवा भात दालि खेरही के , सजमनि के सादा तरकारी |
सादा सादी हो पवित्रता , उपजल अपना बारी झारी |
पंचमी - खरना ----------
अरवा चौर दूध हो गाएक ,कुसियारक रस टटका गूर |
अति पवित्र माँटिक चुलहा हो , गाएक गोबर चौका पूर ||
माँटि वा पित्तरि के वासन हो, गीत गाबि केँ रान्ही खीर |
जारनि सेहो पवित्र काठ के , धोल पखारल पावन नीर |
षष्ठी सूर्यक कए आराधन, भक्तिभाव नैवेद्यक अर्पण|
जतबा सम्भव हो , मधुर फल, भक्ति भाव सँ करी समर्पण ||
भोग लगा षष्ठी दिनकर केँ, करी प्रसादक वितरण |
आस्था सँ जे करय नेम व्रत , हो सभ कष्ट निवारण |
ई विधि नेम व्रती कर केवल , आन ने क्यो छूबय छाबय |
खीर मधुर पकमान मधुर फल , भक्ति सँ भोग लगाबय |
शुचि आचार विधि नियमक पालन , भाव ने कुत्सित मन आबय |
ओ षष्ठी देवी के संगे ,मधुकर कृपा दिनकरक पाबय ||
**********************मधुकर *********************
4/11/2016

Saturday 29 October 2016

[दीयाबातीक पूर्व संध्या पर ] *** दीपोत्सव गीत ***

[दीयाबातीक पूर्व संध्या पर ]
*** दीपोत्सव गीत ***
स्वागत मिथिला मे दीपोत्सव |
पावस बरसि गेल धरती पर ,काह कूह भसिआएल
हरियर तरु केर डारि पात ,जल विन्दुक धार धोआएल ;
टुस्सा हुलकी देलक नव नव |
स्वागत धरती पर दीपोत्सव ||
कादो थाल निपात बाट सरियाम भेल तृण छीलल ,
घर आँगन लेबल मूनल चिक्क्न चुनमुन हँसु खलखल ;
ढौरल चिकनी माँटि सँ अभिनव |
स्वागत मिथिला मे दीपोत्सव ||
धन तेरस कए स्वच्छ्ताक अभियानक सेना साजल ,
कालराति अन्हार अंत लय दीप मालिका बारल ;
कोना कानी अग जग जगमग |
स्वागत मिथिला मे दीपोत्सव ||
आगत अगहन मास सभक हित शुभ समृद्धि प्रदायक ,
मंगल मूरति लक्ष्मी पूजा जे दीनता विदारक ;
मनबथि तेँ सभ मंगल उत्सव|
स्वागत मिथिला मे दीपोत्सव ||
घर घर ज्ञान प्रकाश प्रकाशित सभतरि लक्ष्मी अन धन ,
सोना चानी कोना कानी आधि बेयाधि ने केहुखन ;
आबओ सुख समृद्धि ओ वैभव |
स्वागत मिथिला मे दीपोत्सव ||
‘मधुकर’
29/10/2016

Thursday 27 October 2016

वाह–वाह!जाह-जाह

|| वाह–वाह!जाह-जाह ||

देब तँ वाह –वाह ,लेब तँ जाह –जाह |
भोज तँ वाह –वाह , ओज तँ जाह –जाह |
लोभ तँ वाह –वाह, क्षोभ तँ जाह- जाह |
दाव तँ वाह –वाह , घाव तँ जाह- जाह |
कहब तँ वाह –वाह ,सुनब तँ जाह-जाह |
उठब तँ वाह-वाह ,खसब तँ जाह- जाह |
जुटब तँ वाह वाह , टूटब तँ जाह-जाह |
सटब तँ वाह-वाह, हटब तँ जाह- जाह |
दौड्ब तँ वाह –वाह , खसब तँ जाह- जाह |
जीतब तँ वाह –वाह ,हारब तँ जाह-जाह |
हँसब तँ वाह –वाह , कानब तँ जाह –जाह |
लड़ब तँ वाह-वाह ,हारब तँ जाह –जाह |
आमद तँ वाह-वाह ,खर्चा तँ जाह –जाह |
प्रशंसा तँ वाह- वाह , निंदा तँ जाह- जाह |
पकडल तँ वाह –वाह ,छूटल तँ जाह –जाह |
समटल तँ वाह- वाह ,छीटल तँ जाह –जाह |
सुख मे तँ वाह-वाह ,दुःख मे तँ जाह- जाह ||
जानब तँ वाह- वाह ,बिसरब तँ जाह- जाह |
छूटब तँ वाह –वाह, लसकब तँ जाह –जाह |
‘मधुकर’कह वाह वाह, सुनल तँ वाह वाह ? ,
जीवित मे आह –आह !, मुइला पर वाह वाह !
------ मधुकर ---

Wednesday 26 October 2016

अमृत आ विष

|| अमृत आ विष ||

अमृत थिक सौन्दर्यक दर्शन , अमृत अनुपम क्षीरक भोजन |
अमृत निशि केर चन्द्र किरण सन ,शान्ति सुखद अमृतमय जीवन ||
अमृत शैत्य मे अग्निक सेवन , अमृत थिक सम्मानक भाजन |
अमृत थिक निरोग हो तन मन , अमृत विद्या ज्ञानक अर्जन || 
अमृत थिक मायाक विसर्जन , अमृत थिक गायन मन रंजन |
अमृतमय मधुभाव अंकुरण , अमृत थिक संतोष महाधन |
अमृतमय थिक पोषण गोधन ,अमृतमय शीतल जल पावन ||
शुभ बिचार अमृत अनुमोदन ,असली सुधा पवन मृदु जीवन |
अमृतमय थिक सात्विक भोजन ,अमृतमय थिक ईष्ट्क कीर्त्तन ||
भोजन वस्त्र आबास विलक्षण ,अमृत मातृभूमि के सेवन |
आह कहय मुइलो पर जनगण ,मधुकर अमर- अमृतमय जीवन ||


             
        ||विष ||

विष थिक बुत्ता अधिक होएब तन ,आवश्यक सँ अधिक हएब धन |
विष थिक भूखक अनुभव अनुखन , विष हिंसा कए जीवक भक्षण ||
विष थिक अति आलस्य होएब तन , अधिक महत्वाकांक्षा पोषण |
विष थिक संशय सभ मे अनुखन ,विष थिक अति दुर्ब्यसनक सेवन ||
विष थिक स्वार्थे मिथ्या भाषण ,विष थिक शील विवेकक त्यागन ||
विष थिक बनब घृणा के भाजन, विष थिक सतत कुसंग निर्वहन |
विष थिक हिंसा रत हो जीवन , विष थिक निर्वल जन केर मर्दन ||
विष थिक भ्रष्टाचार आचरण ,विष थिक खाएब आनक अर्जन |
विष यदि नहि आत्मा परिमार्जन ,विष थिक सज्जन मानक भंजन ||
विष थिक अतिशय प्रेमक बर्द्धन , विष थिक क्षणे क्षणे परिवर्त्तन |
उचितक त्याग विषम- विष ‘मधुकर’ विषमय जीवन केर सभ लक्षण ||
*******************मधुकर *******************************

26/10/2016

मैथिल तैयो अनठौने छी

 || मैथिल तैयो अनठौने छी|| 

गाम बूड़ल –धाम बूड़ल, मिथिला के नाम बूड़ल ,
संस्कृति संस्कार बुड़ल ,तैयो अनठौने छी ?
एत्तहि के नृप विदेह ,पुत्री रमा सदेह ,
ब्रह्म राम पाबि नेह ,मानल मिथिला श्वगेह ;
मैथिल सन्तान हुनक, नाम निज घिनौने छी |
पूर्वज के ज्ञान ध्यान ,साक्षी तेहि केर पुराण ,
मानवता देल त्रान ,जीवन दर्शन महान ,
हुनके छी प्रजा पुत्र ,माथ निज नुकौने छी ||
क्षण पल छी जैत गलल ,मिथिला नहि राज्य बनल ,
अवसर छल सेहो हुसल ,क्षमता नुकौने छी |
करबा लय क्रांति प्रवल ,नहि छी सभ मिलल जुलल ,
फुटकल छी जाति पाति ,काल निज गमौने छी |
कत्तहु अतिशय सुखार ,कत्तहु पैनिक अमार ,
बूडल खेती पथार ,अन्न पैन घर द्वार कोशी कमलाक धार, सभटा भसियौंने छी |
मातृभूमि बिलटि रहल ,वैभव सभ निघटि रहल ,
स्वर बिरोध चपटि रहल ,निर्वल बुझि डपटि रहल ,
अपने मे झंझ मंझ ,शक्ति सभ गमौने छी |
सूतल जे जाति रहय. सभटा चुप चाप सहय ,
बखरा लय नहि लड़य ,बनि नीरीह त्याग करय ,
‘मधुकर’ निज स्वाभिमान ,मैथिल मटियौने छी |
***********************मधुकर ***********************

Tuesday 25 October 2016

नेना केँ नहि दुत्कारू

|| नेना केँ नहि दुत्कारू ||

नेना केँ नहि दुत्कारू नहि फटकारू |
हूसय लागय पैर तँ ओकरा ,हाथ पकरि के समहारू |
यिग्यासा के उत्तर दीयऽ ने झझकारू टिटकारू ,
ओकर भविष्यक सपना ,जतबा हो सम्भव साकारू |
प्रतिभा प्रोत्साहित करबा लय बाज़ी लगा लगा हारू ,
अधहो बात कहय तँ कहि के आधा अपनेँ स्वीकारू |
अंट संट नेना भुटका केँ कहि नहि नाम उचारू |.
बुच्ची नूनू बच्चा कहि –कहि कए दुलार पुचकारू |
इहो नीक नहि बात ओकर हित बहसि के बनय दुलारू |
किन्तु ने अनुभव करय उपेक्षा , अनुखन सेहो बिचारू |
अपन नेनपन की चाहै छल सेहो बात अहाँ मन पारू |
छोट छीन गलती केला पर ,नहि घेथारि हुथकारू |
करय यदी ओ अनुचित ईच्छा रोकू बुझा ने मारू |
अँह परिवार समाज राष्ट्र के कर्णधार छी मन्त्र उचारू ||
कथा पिहानी कहि कहि ज्ञानक मोन ओकर बहटारू |
रहू ठोकैत पीठ के मधुकर ,दुरदुराय नहि ओकरा टारू ||
***************मधुकर **********************

बढू क्राँँति के ध्वजा उठौने

||  बढू क्राँँति के ध्वजा उठौने ||

पूर्वज ऋषि मुनि जे केलन्हि मिथिला सीमांकण| 
एखनहुँ अछि ओहि क्षेत्रक विद्या ज्ञान परम धन||
एखनहुँ एतय के लोक जगत मे जेहिठाँ गेला 
अप्पन कर्म कुशलता सँ ओ चर्चित अर्चित भेला | 
अतुल विद्वता क्षमता रहितो मैथिल अनमन |
मातृ भूमि लय नहि कए सकला किछुओ चिन्तन |
तिरहुत के विकास कार्य रहला अनठौने |
नहि हक हासिल बिना हो मिथिला राज्य बनौने ||
जागू आगू बढू क्रान्ति के ध्वजा उठौने ||
देश भेल आज़ाद भेल छल उपगत अवसर|
पृथक राज्य लय नहि उत्सुक जन प्रतिनिधि केर स्वर |
राज्यक बनने छोटो भूमि खण्ड अगुआएल |
बनि पछ्लगुआ मिथिला दिन प्रतिदिन पछुआएल |
बाजि ने सकला रहला सभ दिन मूँह नुकौने |
लूटि केँ खेलक आन रहल मिथिला बिलटौने ||
जागू आगू बढू क्रांति के ध्वजा उठौने ||
आबहु जँ जागब तँ निज अधिकार केँ पाएब |
केंद्र तथा राज्यक सरकार केँ बात जनाएब ||
मैथिल समग्रता केर भास्वर स्वर जा ने सुनाएब |
क्षमता प्रभुता जना केँ नेता देश हिलाएब |
दुःख दरिद्रता भागत घर घर सूप डेङौने |
जागू आगू बढू क्रांति के ध्वजा उठौने ||
***************मधुकर***********************


Monday 24 October 2016

मैथिल बनू प्रज्वलित चिनगी

  || मैथिल बनू प्रज्वलित चिनगी||

छलहुँ गाछ केर जरिआठी अँह,आइ बनल छी फुनगी |
छलहुँ एकदिन धह –धह धधरा ,आइ पझाएल चिनगी |
मैथिल बनू प्रज्वलित चिनगी ||
छलहुँ ज्ञान विद्या केर सागर ,आइ बनल छी लघुतम गागर |
छलहुँ चेतना रूप समुज्ज्वल , सभठाँ पाबी आइ निरादर |
अपनेँ जेना तेना बीति गेलहुँ, कोना बीतत सन्तति केर जिनगी ?
मैथिल आइ बनल छी फुनगी |
हवन कुण्ड मे क्रांतिक घृत दय, अग्नि अतुल ज्वाला धधकाउ|
मिथिला राज्य प्राप्त करबा मे, पाछू पग नहि आब हटाउ|
आवश्यक तृण पवन योग सँ, चिनगी लहकी सुनगी |
बनल नहि रहू छौर तर चिनगी ||
मिथिला राज बनौने बिनु नहि ,चैन शान्ति सुख पाएब |
खेती आ उद्योग समिश्रित ,समृद्धि राज्य बनाएब |
आलस त्यागू काज मे लागू आब ने ताकू अलगी बलगी |
मैथिल बनू प्रज्वलित चिनगी ||
*****************मधुकर **************************


Sunday 23 October 2016

अभियान गीत

    || अभियान गीत ||

फाँर बान्हि केँ तत्पर मैथिल ,करू सफल अभियान |
मिथिला राज्यक हेतु समर्पित ,करियौ जान परान ||
भारत मे जे राज्य बनल अछि ,सभक अपन अछि नाम |
किन्तु राज्य पौराणिक मिथिला, आइ भेल गुमनाम |
सात कोटि मैथिल केर संख्या ,सभ गुम्मी लधने छी |
एकरा लय नहि कोनो हरबड़ी, बैसल दम सधने छी |
आब अधिक देरी लागत तँ, भागत दूर निदान |
मिथिला राज्यक हेतु समर्पित, करू जान आ प्राण ||
ब्राह्मण क्षत्री वैश्य शूद्र नहि ,डफली अपन बजाउ |
सभ मिलि राग एकेटा तानू ,गीत विजय के गाउ |
सभटा स्वर के श्रोत मिला केँ,शक्तिक सिन्धु बनाउ ,
बाधा केर पर्वतो ठाढ़ यदि , ओकरा ढाहि बहाउ ,
कए निर्माण राज्य मिथिला केर ,राखू पूर्वज मान |
मिथिला राज्यक हेतु समर्पित ,करू जान आ प्राण ||
मिथिला केर पुश्तैनी धंधा ,घुमा केँ आनत वैभव ,
खेती चलत सुडारि तँ भागत, सकल अभाव पराभव ,
लघु उद्योगक बलेँ दरिद्रा ,केँ भगैब अछि सम्भव ,
राज्यक बनने स्वयं विकासक ,साधन आएत नव नव,
मिथिला केँ समृद्धि बनाओत ,पान ओ माँछ मखान |
मिथिला राज्यक हेतु समर्पित ,करू जान आ प्राण ||
रहलहुँ स्त्तरि वर्ष सँ हम सभ, प्राँत बिहारक संग ,
बनल योजना नहि विकास केर ,दिन दिन आशा भंग ,
तिरहुत नामक छलो डिवीजन ,तकरो भेल निपात ,
नाम धाम केँ मेटा देल अछि ,राजनीति आघात ,
‘मधुकर’ मिथिला राज्ये बनने , मैथिल बनब महान |
मिथिला राज्यक हेतु समर्पित, करू जान आ प्राण ||
******************मधुकर ******************

23/10/2016

Thursday 20 October 2016

मिथिला हमर महान

   || मिथिला हमर महान||
                                        राम चन्द्र मिश्र "मधुकर
 समधियौर अवधक नृप दशरथ ,
राम ब्रह्म केर प्रिय सासुर |
जनक विदेहक गृह थिक मिथिला ,
तुच्छ एकर आँगा सुरपुर ||
भारत पुरी अनेक कहाबय ,
सभ मे मिथिलापुरी महान |
कण कण भूमि यज्ञ सँ सेदल ,
मैथिल ज्ञानी आ विद्वान ||
जतय भूमि के उपजा सीता ,
दुष्ट दनुज कुल नाशी |
जग जननी जानकी के जनगण ,
सदा सतीत्व उपासी ||
वेद शास्त्र उपनिषदक रचना,
ग्रन्थ रत्न षडदर्शन |
भोग गृहस्था श्रम के करितो ,
मुक्त मैथिलक जीवन ||
देवी शक्ति विष्णु शिव दिनकर,
गणपति पंचदेव पूजन |
नेम टेम व्रत पावनि श्रद्धा ,
युक्त करथि मैथिल जनगण ||
सजल धजल शुभ वेश पुरातन ,
धोती चपकन दोपटा पाग |
एतय केर विधि व्यवहार सनातन
,गीत नाद मधुमय अनुराग ||
षड ऋतु अनुभव परम मनोहर ,
प्राकृतिक सौंदर्य महान |
खान पान सौन्दर्य सुधामय ,
स्वर्गहु दुर्लभ पान मखान ||
शस्य पूर्ण रह सभ नक्षत्र मे,
अन्नपूर्णा केर आँचर |
मालभोग आ धान सतरिया ,
मह - मह चौरी आ चाँचर |
घर घर मे गोसाउन कुल देवी ,
अचला रमा स्वरूपा |
देवो सँ नर रूप मनोहर ,
नारी सौन्दर्य अनूपा |
कलासिद्ध जग मे प्रसिद्ध छथि ,
मिथिला के नारी नर |
मिथिला सन नहि दोसर जग मे ,
उपमा कोनो ‘मधुकर’ ||
     
 
 रचित -








* राम चन्द्र मिश्र "मधुकर *
28/10/2016