कार्तिक शुक्ल परीव गोपगण गोकुलबासी ,
करइत छला इंद्र केर पूजा भक्ति भाव सँ |
इन्द्रे छथि मेघक अधिपति वर्षाक देवता ,
अन्न शाक तृण बसुधा पर हुनके प्रभाव सँ ||
कृष्ण कहल गिरि गोबर्द्धन प्रत्यक्ष देवता ,
गोचारण के क्षेत्र ओएह छथि गाएक पोषक |
हुनके कृपा सँ प्राप्त घास फल मूल आ औषधि ,
इंद्र छोड़ि गोबर्द्धन पूजा अछि आवश्यक ||
कृष्ण कथा सभ मानि कएल गोबर्द्धन पूजा ,
इंद्र कुपित भय वर्षा कए व्रज डूबबय लागल |
कृष्ण उठाओल गोबर्द्धन कनगुरिया आँगुर,
गोर्द्धंन तर प्राण गाए गोपी जन बाँचल ||
व्रज मे तहिये सँ प्रचलित गोबर्द्धन पूजा ,
भारत वर्षक गोपालक गण कएल अनुशरण |
पूजा ई प्रतीक अछि गोरक्षण संबर्द्धन ,
गाएक सेवा मे सभ देवी देवक पूजन ||
गाएक थरि मे गोबर केर बनाय गोबर्द्धन ,
भक्तिभाव सँ जनगण करथि धेनु के पूजन |
चारा पानी औषधि दय के गाएक सेवा ,
रंग बिरंगक गाएक तन सज्जित आभूषण ||
मिथिला मे गोक्रीडा नामेँ हूरा हूरी ,
इंद्रक मेघ मानि केँ शूकर केर प्रताड़न |
करय सवत्सा गाए सिंह सँ शुकर हत्या ,
गोकुल गाए गोप के ऊपर कोपक कारण ||
किन्तु ई हिंसक क्रूर प्रवृतिक अंत प्राय अछि |
गोक्रीडा के नामे हिंसा करब अशोभन |
थिक कर्तव्य धर्म कर्मक करबे अनुपालन ,
पर्वक जे उद्येश्य मूल अछि गोधन रक्षण ||
*************मधुकर ********************
31/10/2016
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