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Tuesday, 7 November 2017

अगहन मास

 ।। अगहन मास ।।


आयल    अगहन   सेर   पसेरी
मूँसहुँ         बीयरि       धयने।
     जन  बनि हारक मोनमस्त अछि
    लोरिक      तान         उठौने ।।  

भातक दर्शन पुनि पुनि परसन
होइत        कलौ    बेरहटिया ।
भोरे  कनियाँ  कैल   उसनियाँ 
परल      पथारक     पटिया ।।

   फटकि-फटकि खखड़ा मुसहरनी
खयलक      मुरही        चूड़ा ।
नार पुआरक कथा कोन अछि
वड़द    ने     पूछय     गुड़ा ।।

चारु    कात   धमाधम   उठल
जखनहि    उगल     भुरुकवा ।
 साँझक साँझ परल  मुँह  फुफरी
तकरो      मुँह     उलकुटवा ।।

रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
मो - 9997313751 

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