पाथड़ सन करेजा छै जकर,
नहि सुनै अबलाक चित्कार।
मनुक्ख नै वहशी भेड़िया छै ,
जे करै मातृशक्तिक बलत्कार l
के बच्चा , के बूढ़- जआन,
तकर नहि कनियो पहिचान।
ऒहि माइयो केँ नहि छोड़ै छै,
जाहि कोखिक अछि संतान l
बेटी-बहिन पर नहि करै दरेग,
ओकरो इज्जति केँ करै तार-तार l
मनुक्ख नहि वहशी भेड़िया छै ,
जे करै मातृशक्तिक बलत्कार ।
कोन युग आब आबि गेलै,
ककरा पर करत विश्वाश।
ककरो इज्जति नहि सुरक्षित छै ,
भगवान पर आब केवल आश l
हे प्रभु पापक अंत करु ,
अहीं लिअ फेरो अवतार।
मनुक्ख नहि वहशी भेड़िया छै ,
जे करै मातृशक्तिक बलत्कार l
जे नारी छल देवी समान ,
संकट में छै ओकर जान।
सभ मिलक' कुकर्म करै छै ,
नोचि- नाचिक' लै छै प्राण।
जे मर्दानगी देखबै नारी पर,
ऐहन मर्द केँ 'प्रेमेन्द्रक' धिक्कार।
मनुक्ख नहि वहशी भेड़िया छै,
जे करै मातृशक्तिक बलत्कार।
सीताक हृदय कानैत हेतनि,
आँखि सँ झहरैत हेतनि नोर।
विभत्स घटना सभ देखि - देखिक',
अंतरात्मा दैत हेतनि झकझोरि।
फेर सँ एक बेर फाटू हे धरती,
नारी केँ करियौ उद्धार।
मनुक्ख नहि वहशी भेड़िया छै,
जे करै मातृशक्तिक बलत्कार।
-----कमलेश प्रेमेंद्र-------------
आहपुर-दामोदरपुर,बेनीपट्टी
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