मैथिली साहित्य महासभाक एहि ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैसाम मैथिली साहित्यक संवर्धन ओ संरक्षण लेल संकल्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव maithilisahityamahasabha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहि सँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत। संपर्क सूत्र : 8010218022, 9810099451

Tuesday 26 September 2017

उपासना

कल्पना झा ★
एकटा छथि,
माँ जगजननी महाकाली !
सभक रक्षनार्थ,
दुखिया के दुःखहारिणी
पालनकारिणि महागौड़ी
के नहि जनैछ हिनक महिमा..
माँ जगदम्बा !
तें की ?
ओहो त स्त्रिये छथि ..
ओ त भवभंजनि महाकालिका थिकीह
हम सभ हुनका अबला कहबनि !
नहि ने ?
हुनक जीबन कि अकंटक छलन्हि ?
साक्षात् रणचण्डी। !
त की ?
हम सभ सदति ..
कथमपि नहिं .
आख्यान ब्याख्यान भरल परल अछि ,
पूजा अर्चना क संग ...
हुनक कंटकमय गाथा सँ ..
जीबन जिबाक प्रेरणा लैत छी ।
हुनक कंटकमय गाथाक ...
श्रवण मनन करैत छी ।
तअ कहू त कियेक नहि ..
हुनकहि सँ ..
एहि बातक बिचार केने बिना
कियेक कनियों दुःख सँ ..
अति दुःखी भए ...
अपन आराध्या क आगू ...
गिरगिराइत रहैत छी ,
जे ओ अपराजिता ..
महाकाली माए
कतेक द्रवित हेतीह ..
हमर सभक अकर्मण्यता पर ,
तअ आऊ ..
कतेक क्षुब्ध हेतीह ,
पूजा उपासना क
हम सभ मिलि प्रण करी
जानबा , बुझबाक ...

अनर्गल अर्थ जानि ,
पूजा उपासना क सही अर्थ


Thursday 21 September 2017

कलशस्थापन

शुभ संकल्पक कलशस्थापन !
तन केर घट मे ज्ञानक जल दय , उत्कर्षक अभिनव पल्लव दय ,
विजयक जव केँ कर्म वालुका ,धी विद्या संग मे आरोपण |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
सदाचार केर द्रव्य समर्पित ,शुभ विचार के फल कय अर्पित ,
लालित्यक हो वस्त्र आवरण ,एकताक माला हो गुम्फन |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
सुभग मन्त्र कर्मक उत्प्रेरण ,प्राणी केर प्रकाशमय जीवन ,
सुख संतोष प्राप्त हो अनुखन ,दीपक ज्योति विकास किरण |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
करुणा कृपा आ त्याग भावना ,अपना लय अत्यल्प कामना ,
पर सुख जनहित केर कल्पना ,अनुरागक हो भाव प्रदर्शन |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
ममतामयि माताक मूर्ति हो ,सुभग याचना केर पूर्ति हो,
जीवन रण विजयक स्फूर्ति हो ,मंगल मोदक शरण वरण |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
मानस उपजय हीन भाव नहि,अशुभ अमंगल केर प्रभाव नहि,
सत्य अहिंसा सँ दुराव नहि ,शक्ति युक्तिमय मानव जीवन |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
स्वाहा भ्रष्टाचार हवन कए, नारी मातृस्वरूप नमन कए ,
करू स्तवन शक्तिक मधुकर ,आत्मभाव जीवक प्रतिपालन |
शुभ संकल्पक कलशस्थापन ||
*******************मधुकर **************

Monday 11 September 2017

देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम् क छायानुवाद

श्री राम चन्द्र मिश्र "मधुकर"

माँ जगदम्वे चरण शरण |
मन्त्र ने जानी तन्त्र ने जानी ,नहि स्तुति करबा के ज्ञान ,
नहि जानी हम करब आवाहन ,नहि अवगति करबा के ध्यान |
हम अहाँक स्तोत्र कथा सँ, मातु सर्वथा छी अनजान ;

नहि मुद्रा सँ हमरा परिचय , केवल करब विलापक ज्ञान |

हम तँ बात एकेटा जानी , ग्रहण जे जननी करय शरण |

माँ जगदम्वे चरण शरण ||
कल्याणी उद्धार कारिणी ,नहि विधान पूजा धारण |
,धनक अभाव स्वभाव आलसी ,कएल ने पाठक सम्पादन |
त्रुटि भेल चरणक सेवा मे ,क्षमा करब हे जग जननी !
पूत कपूत बनब सम्भव अछि ,मात कुमाता नहि केहुखन ?
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
पुत्र अहाँके सरल स्वभावक ,पृथ्वी पर बहुतो जग जननी !
हम छी चपल स्वभावक चंचल ,विरल पुत्र हम छी अवणी,
किन्तु त्याग नहि हमर उचित अछि ,नहि जानी एहि केर कारण ?
पूत कपूत बनब सम्भव अछि ,मात कुमाता नहि केहुखन |
माँ जगदम्वे !चरण शरण ||
चरणक सेवा कएल ने कहियो ,नहि धन केलहुँ हम अर्पण ,
स्नेह अहाँ के तद्यपि अनुपम, हम जानी एहि के कारण ,
पुत्र अधम पर स्नेह ममत्वक ,अहाँ कएल निश्चय धारण ,
पूत कपूत बनब सम्भव अछि ,मात कुमाता नहि केहुखन |
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
मातु पार्वती हम तँ केलहुँ ,अछि माँ अनेक देवक सेवन ,
वर्ष पचासी आब ने सम्भव ,हमरा सँ सबहक पूजन ?
रहल आश नहि हमरा ककरो, तेँ धेलहुँ अछि अहँक शरण ,
अहूँ कृपा नहि करब हे अम्वे! तँ जाएब पुनि ककर शरण ?
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
अहँक मन्त्र केर एको अक्षर ,अधम सँ अधमक कान समाय ,
तँ चांडालो केर मुख निकसय ,वाणी मधुरक उच्चारण ,
दीनो पाबि लैत अछि वैभव ,मंत्राक्षर जे करय श्रवण ,
जप तप अहँक करय विधि पूर्वक ,गति मति प्राप्त विलक्षण |
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
अंग लपेटल चिता भस्म छन्हि ,विषम हलाहल अछि भोजन ,
नग्न दिगम्बर माथ जटा छन्हि ,कंठ वासुकी आभूषण ,
भिक्षा पात्र कपाल हाथ मे, जगदीशक पदवी धारण ,
ई महत्व शिव केँ अछि भेटल , अहींक पाणिग्रहणक कारण |
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
चन्द्रमुखी हम सत्य कहै छी ,नहि हमरा मोक्षक ईच्छा ,
नहि अभिलाषा आब जगत मे,प्राप्त करी हम वैभव धन ,
नहि विज्ञानक ज्ञान अपेक्षा , नहि सुख भोगक आकांक्षा ,
हमर याचना मातु एकेटा ,नाम जपैत रही जीवन |
माँ जगदम्वे चरण शरण || 
माँ श्यामा हम विधि पूर्वक नहि ,कएल अहाँ के आराधन ,
हम केलहुँ अपराध अनेको , हृदय कठोर भाव चिन्तन ,
किंचित कृपा दृष्टि हमरा पर, प्राप्त अहाँ के अवलम्वन,
दयामयी ई अहींक योग्य अछि ,अपन कुपुत्रो देब शरण |
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
हे महेश्वरी ! करुणा सागर ,आफद फँसि केलहुँ सुमिरण ,
शठता हमर क्षमा करु जननी , नहि केलहुँ पद के सेवन ,
ब्यर्थ गमाएल काल स्मरण ,केलहुँ नहि हम भरि जीवन ,
भूखल प्यासें पीड़ीत बालक करय मात्र माएक सुमिरन |
माँ जगदम्वे चरण शरण ||
तद्यपि कृपा अहाँ के पाबी ,नहि कोनो आश्चर्यक बात ?
पुत्र करय अपराध घनेरो ,तदपि उपेक्षा करथि ने मात ,
हमर समान पातकी जग नहि ,पाप हारिणी नहि अहाँ सन ,
उचित बुझी से करी हे अम्वे ! हम मधुकर छी मातृ शरण |
माँ जगदम्वे ! चरण शरण ||

*****************मधुकर **************************


Friday 1 September 2017

बिना

डेग झारि नहि चलब बाट मे ठेसो लगनेँ |
पैर वारि नहि धरब मार्ग मे काँटो गरनेँ |
आबो नहि सम्हरब दुश्मन के वैभव हरणेँ |
आनक उन्नति देखि कोनो फल नहि हो जरनेँ |
युक्ति बिना नहि कार्य सिद्ध कतबो श्रम कएनेँ |
प्राप्त सफलता नहि हो , लगन धैर्य बिनु धएनेँ |
पेट भरय नहि रस लागल आँगुर केँ चटनेँ |
भेटय शान्ति संतोष बाँटि केँ हिस्सा खेनेँ |
मोजर भेटय ने गौरव गीत अपन मुँह गेनेँ |
सुनियों केँ अन्ठाबय, हरदम गाल बजेनेँ |
बिनु साहस के युद्ध विजय नहि खड्ग पिजेनेँ |
चौर बनय नहि भात पैन बिनु आगि सिझेनेँ |
सहन शक्ति नहि बिना क्रोध के आगि मिझेनेँ |
प्रेम होए नहि बात बिचार सँ बिना रिझेनेँ |
नहि श्रद्धा विश्वास बिना आत्मा सुनझेनेँ ||
************************मधुकर *************

01/09/2017