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Friday, 15 December 2017

कहू गर्व सँ हम मैथिल छी

छी  मैथिल जते कहाबी , नहि मिथिला नाम घिनाबी | 
सभ फुसिये  गाल बजाबी ,अछि  खूब कविलती दावी |
  अपनों हक उचित ने पाबी ,नहि मिथिला नाम घिनाबी ||
सभ स्वार्थे  मे घुरियाबी ,कहि जाति  अजाति  लड़ाबी ,

दिन बैसल  ब्यर्थ  बिताबी ,गौरव  टा   ब्यर्थ    देखाबी | 
गढ़ि- गढ़ि के बात बनाबी ,नहि मिथिला नाम घिनाबी ||
   कहु गर्व सँ हम छी मैथिल ,कए सकल राज्य नहि हासिल ,
 नहि रहल परस्पर हिलमिल ,अपना मे कएल  फुटौअलि | 
झुट्ठे के  गाल   बजाबी ,  नहि  मिथिला नाम  घिनाबी ||
सभ जाति छी  मिथिलाबासी ,मैथिल  सन्तान   प्रवासी ,
त्यागू  आलस्य   उदासी ,  सभ  द्वेष  जे    सत्यानासी |
मिलि जुलि के जोर लगाबी ,नहि मिथिला नाम घिनाबी ||
नहि  पाश्चाताप  केने  फल ,नहि   कोनो अर्थ मे निर्वल ,
लेब  राज्य  एकता  केर बल ,हो प्राप्त  रहय जे  जागल  | 
क्षमता सभ अपन देखाबी , नहि मिथिला नाम घिनाबी ||
हम  शक्ति उपासक मैथिल, हम   करब अवश्ये  हासिल ,
  हम क्रान्तिकरब  सभ हिलमिल ,सभ जातिक बंधन कए | 
तन  मन धन नाहि नुकाबी ,नहि मिथिला नाम घिनाबी ||
होउ क्रान्ति करक हित तत्पर ,अंदोलन  एहि लय सत्वर ,
नहि करू भरोसा अनकर , निर्माण राज्य जन हितकर  | 
ता मोजर देत ने ‘मधुकर’ , मिथिला नहि राज्य बनाबी ||

**राम चन्द्र मिश्र "मधुकर", ***

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