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Tuesday, 12 December 2017

लघुकथा - ट्रेंड

'आब बात  पढ़ाईये -लिखाई के लैह ...... जे बच्चा बेसी चन्सगर  से साइंस पढ़ैत  अछि आ डॉक्टर-इंजीनियर बनि  पैघ कंपनी-अस्पताल मे नौकरी पबैत अछि।  जे पढ़ै मे कने दब्ब से आगू जा क' मैनेजमेंट के पढ़ाई करैत अछि आ कंपनी-अस्पताल के मैनेजर भ' जाईत अछि। मैनेजर के आगू डॉक्टर-इंजीनियर के झुकहि पड़ैत छै आ ओकर आदेशो मान' पड़ैत छै। आब जे केयो कोनो टेक्निकल डिग्री नहिं ल' सकल से आगू जा क' सरकारी सेवा मे प्रशासक बनि जाईत अछि आ शासन-प्रशासनक  नीति-निर्धारण करैत अछि जकरा सभ के स्वीकार करब अनिवार्य। ओकरा आगू डॉक्टर-इंजीनियर-प्रबंधक सभ झुकैत अछि।  जे केयो एहि तीनू श्रेणी मे नहिं आबि सकल से विधायक-सांसद आ  मंत्री बनि जाईत अछि। राज-काज मे  एकर ईक्षा सर्वोपरि तैं पैघ-पैघ प्रशासक सेहो एकरा आगू नतमस्तक ! आओर ........  जे एहि सभ मे स' किछु नहिं बनि सकल से बनि जाईत अछि ...... संत ! ....... महात्मा !!   एकरा आगू त' सभ नतमस्तक !' कहि क' हरखू कक्का तमाकू के ज़ूम कसिया क' चुटकी मे दबा क' ठोरक निचा रखला आ अजेय दृष्टियेँ ओत' बैसल लोक सभ दिस तकला। गुम्म भेल सभ स्वीकृति मे मुड़ी हिलेलक।

हरखू कक्का भाँगक तरंग मे छलाह किवा व्यवस्था पर  व्यंग क' रहल छलाह से त' नहिं कहि; मुदा हुनकर बात तथ्यात्मक दृष्टियेँ पूर्ण सत्य नहियों रहैत एकटा ट्रेंड के  धरि अवस्से इंगित  क' रहल छल।  हमहुँ सोच मे पड़ि गेल रही।  

  कुमार मनोज कश्यप
5/8, ब्लॉक-I, न्यू मिंटो रोड हॉस्टल, मिंटो रोड कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली -110002
# 09810811850 , 011-23231873

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