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Thursday, 14 December 2017

मजूर

मजूरक नाम पर योजना बनै छै,
नहि भेलै ओकर दशा सुधार।
एखनो जे मजूरी करै छै,
खाइ छै ल'  क' पैंचि-उधार।
भरि दिन मेहनति- मजूरी केलक,
खटैत-खटैत छै हाड़ जागल।
अखरा नून रोटी खाक',
भरि दिन मालिकक काज मे लागल।
साँझ मे मालिकक मुँहतक्की,
कमाओल बोनि लेल उखराहा भरि ठाढ़।
एखनो जे मजूरी करैत छै,
खाइ छै ल'  क'   पैंचि-उधार।
रोइयाँ- रोइयाँ कर्ज मे डूबल,
टूटल- फाटल घर दलान।
की खेतै, की कर्ज सधेतै,
सोचिते- सोचिते छूटै प्राण।
शोषण- कुपोषण  मरैत काल तक,
जनमिते मेहनत- मजूरी लिखल कपार।
एखनो जे मजूरी करैत छै,
खाइ छै ल' क' पैंचि-उधार।
सभ कहैए  हम मजूर हितैषी,
ओकरे नाम पर बनबै सरकार।
ओकर उचित हिस्सा की देतै,
खा लैए सभ आगाँक आहार।
ओकर मेहनत सँ सभ धनवान,
ओ ओहिना रहि गेल भूखल लाचार।
अखनो जे मजूरी करैत छै,
खाइ छै ल' क' पैंचि-उधार।
मजूरक नाम पर योजना बनैत छै,
नहि भेलै ओकर दशा सुधार।
 
कमलेश प्रेमेंद्र
आहपुर-दामोदरपुर,बेनीपट्टी

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