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Friday, 1 December 2017

मैथिलीक एकटा पुराण लोकगीत

कोकटिक धोती पटुआक साग ।
तिरहुत गीत बढ़ए अनुराग ।।
सुन्नर अमओट फोका मखान ।
खिरसा केर लडूबी पकवान ।।
जड़ी इसरगत  कर में बान्ह।
अपना - अपनी कुल अभिमान ।।
देवी उपासना सभकेओ जान ।
पावनि सराही चौठी चान ।।
कदली थम्हक भोजक पात ।
क्रिया कर्म मे उज्जवल हात ।।
दहीक सौखी सकलो देस ।
धर्म - कर्म रत रहए नरेश ।।
गप्पक रसिया करए न कार।
सभ दुखक औषध फलाहार ।।
भाव भरल तन तरुणी रूप ।
एतवे तिरहुत होइछ अनूप ।।   

लेखक -
 श्री बैजनाथ सिंह '
सन्दर्भ  : मैथिली साहित्य ,  
 विनोद' - पृष्ठ संख्या - 19 -20 

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