कोकटिक धोती पटुआक साग ।
तिरहुत गीत बढ़ए अनुराग ।।
सुन्नर अमओट फोका मखान ।
खिरसा केर लडूबी पकवान ।।
जड़ी इसरगत कर में बान्ह।
अपना - अपनी कुल अभिमान ।।
देवी उपासना सभकेओ जान ।
पावनि सराही चौठी चान ।।
कदली थम्हक भोजक पात ।
क्रिया कर्म मे उज्जवल हात ।।
दहीक सौखी सकलो देस ।
धर्म - कर्म रत रहए नरेश ।।
गप्पक रसिया करए न कार।
सभ दुखक औषध फलाहार ।।
भाव भरल तन तरुणी रूप ।
एतवे तिरहुत होइछ अनूप ।।
लेखक -
श्री बैजनाथ सिंह '
सन्दर्भ : मैथिली साहित्य ,
विनोद' - पृष्ठ संख्या - 19 -20
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