जिनगी वरू संघर्षे भरल हो,
एको क्षण जीवि क' त'
देखियौ I
अन्हारक
जे सिद्दति छै, से ईजोत के मुट्ठी मे बान्हि क' देखियौ I
जानि ने के कहि
देलक आहाँके जे रक्तक सम्बन्ध पकिया होई छै I
सहोदरो अंठिया बनिजाई छै,कोनो गलती त'कहियो कके 'देखियौI
एक तरफा स्नेहक दीप कहु, आहाँ कतेक
काल जड़ा क'
रखबै I
कहियो
भरल बरिसात मे कतहु, भीतक घर बना क' त'
देखियौ I
नीक-अधलाह किछु कतहु जे बाजब, से काने-कान
पसरबे करतै
I
बदनामी सँ कहिया धरि बाँचब, गुम्मो वरू रहि क' देखियौ I
पुरल छै सभटा आस ककर, दुनिया मे कहाँ कतहु कहियो I
फाटल आञ्चर सँ आसक गेंठी कहियो फोलि क' त'
देखियौ I
लोकक
पैर सँ बाटक पाथर, सभ दिन एहिना उडैत
रहतै
I
किन्साईत कोनो हीरा ने हो, कखनो उठा क' त' देखियौ I
कपड़जरू फूल त'
कांट पर पोसा क' माटिये मे मेटैत
रहतै I
सौभाग्य
हेतई ओकरो,
कहियो आहाँ आँचर मे उठा क' देखियौ
I
उठि क' जे ठाढ़ो ने भ' सकल,
कियै मोन केयो रखतै ओकरा I
खड़ी हम
नित उचारैते छी,
हमरो आँगन आबि क' त'
देखियौ I
***
कुमार मनोज कश्यप
5/8, ब्लॉक-I, न्यू मिंटो रोड हॉस्टल,
मिंटो रोड कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली -110002
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# 09810811850 , 011-23231873
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