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Wednesday, 26 October 2016

मैथिल तैयो अनठौने छी

 || मैथिल तैयो अनठौने छी|| 

गाम बूड़ल –धाम बूड़ल, मिथिला के नाम बूड़ल ,
संस्कृति संस्कार बुड़ल ,तैयो अनठौने छी ?
एत्तहि के नृप विदेह ,पुत्री रमा सदेह ,
ब्रह्म राम पाबि नेह ,मानल मिथिला श्वगेह ;
मैथिल सन्तान हुनक, नाम निज घिनौने छी |
पूर्वज के ज्ञान ध्यान ,साक्षी तेहि केर पुराण ,
मानवता देल त्रान ,जीवन दर्शन महान ,
हुनके छी प्रजा पुत्र ,माथ निज नुकौने छी ||
क्षण पल छी जैत गलल ,मिथिला नहि राज्य बनल ,
अवसर छल सेहो हुसल ,क्षमता नुकौने छी |
करबा लय क्रांति प्रवल ,नहि छी सभ मिलल जुलल ,
फुटकल छी जाति पाति ,काल निज गमौने छी |
कत्तहु अतिशय सुखार ,कत्तहु पैनिक अमार ,
बूडल खेती पथार ,अन्न पैन घर द्वार कोशी कमलाक धार, सभटा भसियौंने छी |
मातृभूमि बिलटि रहल ,वैभव सभ निघटि रहल ,
स्वर बिरोध चपटि रहल ,निर्वल बुझि डपटि रहल ,
अपने मे झंझ मंझ ,शक्ति सभ गमौने छी |
सूतल जे जाति रहय. सभटा चुप चाप सहय ,
बखरा लय नहि लड़य ,बनि नीरीह त्याग करय ,
‘मधुकर’ निज स्वाभिमान ,मैथिल मटियौने छी |
***********************मधुकर ***********************

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