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Wednesday, 26 October 2016

अमृत आ विष

|| अमृत आ विष ||

अमृत थिक सौन्दर्यक दर्शन , अमृत अनुपम क्षीरक भोजन |
अमृत निशि केर चन्द्र किरण सन ,शान्ति सुखद अमृतमय जीवन ||
अमृत शैत्य मे अग्निक सेवन , अमृत थिक सम्मानक भाजन |
अमृत थिक निरोग हो तन मन , अमृत विद्या ज्ञानक अर्जन || 
अमृत थिक मायाक विसर्जन , अमृत थिक गायन मन रंजन |
अमृतमय मधुभाव अंकुरण , अमृत थिक संतोष महाधन |
अमृतमय थिक पोषण गोधन ,अमृतमय शीतल जल पावन ||
शुभ बिचार अमृत अनुमोदन ,असली सुधा पवन मृदु जीवन |
अमृतमय थिक सात्विक भोजन ,अमृतमय थिक ईष्ट्क कीर्त्तन ||
भोजन वस्त्र आबास विलक्षण ,अमृत मातृभूमि के सेवन |
आह कहय मुइलो पर जनगण ,मधुकर अमर- अमृतमय जीवन ||


             
        ||विष ||

विष थिक बुत्ता अधिक होएब तन ,आवश्यक सँ अधिक हएब धन |
विष थिक भूखक अनुभव अनुखन , विष हिंसा कए जीवक भक्षण ||
विष थिक अति आलस्य होएब तन , अधिक महत्वाकांक्षा पोषण |
विष थिक संशय सभ मे अनुखन ,विष थिक अति दुर्ब्यसनक सेवन ||
विष थिक स्वार्थे मिथ्या भाषण ,विष थिक शील विवेकक त्यागन ||
विष थिक बनब घृणा के भाजन, विष थिक सतत कुसंग निर्वहन |
विष थिक हिंसा रत हो जीवन , विष थिक निर्वल जन केर मर्दन ||
विष थिक भ्रष्टाचार आचरण ,विष थिक खाएब आनक अर्जन |
विष यदि नहि आत्मा परिमार्जन ,विष थिक सज्जन मानक भंजन ||
विष थिक अतिशय प्रेमक बर्द्धन , विष थिक क्षणे क्षणे परिवर्त्तन |
उचितक त्याग विषम- विष ‘मधुकर’ विषमय जीवन केर सभ लक्षण ||
*******************मधुकर *******************************

26/10/2016

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