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Friday 18 November 2016

{ जनगीत } हम मिथिले मे रहबै

तिरहुत नगरिया तेजि कत्तहु ने जेबै, हे! हम मिथिले मे रहबै |
घरे मे हमरा चारू धाम , हे! हम मिथिले मे रहबै ||
जनकक धीया सीया हमरो बहिनियाँ , हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
पाहुन हमर सीरी राम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
एहन कोमल भूमि कत्तहु ने पाएब ,हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
स्वर्गो सँ सुन्नर हमर गाम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
कमला आ कोशी गंडक नदिया बहै छै हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
दक्षिण जग पावन गंगाधार , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
फल –फूल अन्न साग अनुपम सुआद्क हे ! हम मिथिले मे रहबै ,
रसगर ओ मिठगर आम लताम , हे ! हम मिथिले मे रहबै |
पान ओ मखान माँछ सरगो ने भेटय हे! हम मिथिले मे रहबै ,
जते बेर जन्म होय मिथिले मे जनमी हे !हम मिथिले मे रहबै ,
‘मधुकर’ ई मिथिला ललाम , हे ! हम मिथिले मे रहबै ||
**********************मधुकर ********************************

2/11/2016

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