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Tuesday, 25 October 2016

नेना केँ नहि दुत्कारू

|| नेना केँ नहि दुत्कारू ||

नेना केँ नहि दुत्कारू नहि फटकारू |
हूसय लागय पैर तँ ओकरा ,हाथ पकरि के समहारू |
यिग्यासा के उत्तर दीयऽ ने झझकारू टिटकारू ,
ओकर भविष्यक सपना ,जतबा हो सम्भव साकारू |
प्रतिभा प्रोत्साहित करबा लय बाज़ी लगा लगा हारू ,
अधहो बात कहय तँ कहि के आधा अपनेँ स्वीकारू |
अंट संट नेना भुटका केँ कहि नहि नाम उचारू |.
बुच्ची नूनू बच्चा कहि –कहि कए दुलार पुचकारू |
इहो नीक नहि बात ओकर हित बहसि के बनय दुलारू |
किन्तु ने अनुभव करय उपेक्षा , अनुखन सेहो बिचारू |
अपन नेनपन की चाहै छल सेहो बात अहाँ मन पारू |
छोट छीन गलती केला पर ,नहि घेथारि हुथकारू |
करय यदी ओ अनुचित ईच्छा रोकू बुझा ने मारू |
अँह परिवार समाज राष्ट्र के कर्णधार छी मन्त्र उचारू ||
कथा पिहानी कहि कहि ज्ञानक मोन ओकर बहटारू |
रहू ठोकैत पीठ के मधुकर ,दुरदुराय नहि ओकरा टारू ||
***************मधुकर **********************

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