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Tuesday, 25 October 2016

बढू क्राँँति के ध्वजा उठौने

||  बढू क्राँँति के ध्वजा उठौने ||

पूर्वज ऋषि मुनि जे केलन्हि मिथिला सीमांकण| 
एखनहुँ अछि ओहि क्षेत्रक विद्या ज्ञान परम धन||
एखनहुँ एतय के लोक जगत मे जेहिठाँ गेला 
अप्पन कर्म कुशलता सँ ओ चर्चित अर्चित भेला | 
अतुल विद्वता क्षमता रहितो मैथिल अनमन |
मातृ भूमि लय नहि कए सकला किछुओ चिन्तन |
तिरहुत के विकास कार्य रहला अनठौने |
नहि हक हासिल बिना हो मिथिला राज्य बनौने ||
जागू आगू बढू क्रान्ति के ध्वजा उठौने ||
देश भेल आज़ाद भेल छल उपगत अवसर|
पृथक राज्य लय नहि उत्सुक जन प्रतिनिधि केर स्वर |
राज्यक बनने छोटो भूमि खण्ड अगुआएल |
बनि पछ्लगुआ मिथिला दिन प्रतिदिन पछुआएल |
बाजि ने सकला रहला सभ दिन मूँह नुकौने |
लूटि केँ खेलक आन रहल मिथिला बिलटौने ||
जागू आगू बढू क्रांति के ध्वजा उठौने ||
आबहु जँ जागब तँ निज अधिकार केँ पाएब |
केंद्र तथा राज्यक सरकार केँ बात जनाएब ||
मैथिल समग्रता केर भास्वर स्वर जा ने सुनाएब |
क्षमता प्रभुता जना केँ नेता देश हिलाएब |
दुःख दरिद्रता भागत घर घर सूप डेङौने |
जागू आगू बढू क्रांति के ध्वजा उठौने ||
***************मधुकर***********************


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