&&मिथिलाक छठिव्रत -नहाय खाय आ खरना विधान&&
चौठ सँ भऽ प्रारम्भ सप्तमी तिथि तक, छठि व्रत करब नियम |
लोक आस्था केर पावनि ई ,श्रद्धा भाव भक्ति अनुपम ||
चौठ- नहाय –खाए के विधि अछि ,परम्पराक करब पालन |
मिथिला के घर घर ई पावनि, विधि वत नियमक अनुपालन ||
लोक आस्था केर पावनि ई ,श्रद्धा भाव भक्ति अनुपम ||
चौठ- नहाय –खाए के विधि अछि ,परम्पराक करब पालन |
मिथिला के घर घर ई पावनि, विधि वत नियमक अनुपालन ||
चौठ - नहाय -खाय -----
खरना सँ पहिनेँ चौठक तिथि ,नदी स्नान निरामिष खाए |
ली संकल्प आराधन हेतुक , देहु मनोरथ माए पुराय ||
व्रती राति मे भूमि शयन कर ,पूर्ति हेतु मन के मनकाम |
गाबय गीत सुनय जाग्रत मन , रहय लैत षष्ठी के नाम ||
अरवा भात दालि खेरही के , सजमनि के सादा तरकारी |
सादा सादी हो पवित्रता , उपजल अपना बारी झारी |
पंचमी - खरना ----------
अरवा चौर दूध हो गाएक ,कुसियारक रस टटका गूर |
अति पवित्र माँटिक चुलहा हो , गाएक गोबर चौका पूर ||
माँटि वा पित्तरि के वासन हो, गीत गाबि केँ रान्ही खीर |
जारनि सेहो पवित्र काठ के , धोल पखारल पावन नीर |
षष्ठी सूर्यक कए आराधन, भक्तिभाव नैवेद्यक अर्पण|
जतबा सम्भव हो , मधुर फल, भक्ति भाव सँ करी समर्पण ||
भोग लगा षष्ठी दिनकर केँ, करी प्रसादक वितरण |
आस्था सँ जे करय नेम व्रत , हो सभ कष्ट निवारण |
ई विधि नेम व्रती कर केवल , आन ने क्यो छूबय छाबय |
खीर मधुर पकमान मधुर फल , भक्ति सँ भोग लगाबय |
शुचि आचार विधि नियमक पालन , भाव ने कुत्सित मन आबय |
ओ षष्ठी देवी के संगे ,मधुकर कृपा दिनकरक पाबय ||
**********************मधुकर *********************
खरना सँ पहिनेँ चौठक तिथि ,नदी स्नान निरामिष खाए |
ली संकल्प आराधन हेतुक , देहु मनोरथ माए पुराय ||
व्रती राति मे भूमि शयन कर ,पूर्ति हेतु मन के मनकाम |
गाबय गीत सुनय जाग्रत मन , रहय लैत षष्ठी के नाम ||
अरवा भात दालि खेरही के , सजमनि के सादा तरकारी |
सादा सादी हो पवित्रता , उपजल अपना बारी झारी |
पंचमी - खरना ----------
अरवा चौर दूध हो गाएक ,कुसियारक रस टटका गूर |
अति पवित्र माँटिक चुलहा हो , गाएक गोबर चौका पूर ||
माँटि वा पित्तरि के वासन हो, गीत गाबि केँ रान्ही खीर |
जारनि सेहो पवित्र काठ के , धोल पखारल पावन नीर |
षष्ठी सूर्यक कए आराधन, भक्तिभाव नैवेद्यक अर्पण|
जतबा सम्भव हो , मधुर फल, भक्ति भाव सँ करी समर्पण ||
भोग लगा षष्ठी दिनकर केँ, करी प्रसादक वितरण |
आस्था सँ जे करय नेम व्रत , हो सभ कष्ट निवारण |
ई विधि नेम व्रती कर केवल , आन ने क्यो छूबय छाबय |
खीर मधुर पकमान मधुर फल , भक्ति सँ भोग लगाबय |
शुचि आचार विधि नियमक पालन , भाव ने कुत्सित मन आबय |
ओ षष्ठी देवी के संगे ,मधुकर कृपा दिनकरक पाबय ||
**********************मधुकर *********************
4/11/2016
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