कोन असुर जग पसर ल, कहमा स आयल रे ललना रे ऐहन जतन सब , करिताहू असुर भग बितहूं रे को रो ना असुर जग पसरल, चायना स आयल रे ललना रे दीप जराए हम , रा खब कोरोणा भगा यब रे लाब ह दीप सलाई की , सब मिली जराओल रे, ललना रे एक जुट भय, दीप लेसल की, मोदी मन राखल रे कविता झा