|| हम नै कतौ भागै छी यौ ||
" गीत "
" गीत "
लोक लाज के ध्यान राखि कय
प्रियतम गोर लागैछी यौ ।
आहाँ जुनि अतेक उताहुल होइयौ
हम नै कतौ भागै छी यौ ।।
देखु मोतिक माला टुटल
फुटल हाथक चूड़ी यौ ।
अतेक राति भरि कष्ट के सहलौ
हम छी कोन कसूरी यौ
निन्द सं आँखि में दर्द भरैया
हम भरि राति जगैछी यौ ।। आहाँ जुनि......
कामातुर आवेश में परि कय
सगरो गात के तोरि देलौ
नवल उरोज सरोज कली दुहुँ
निर्दय जेकाँ मड़ोरि देलौ
दाँते दुनू कपोल काटि कय
लालेलाल करै छी यौ ।। आहाँ जुनि......
अधरामृत मधु पीवि ठोर के
आहाँ सुखयलौ लाली यौ
गुप्त भेद संकेत करैया
टूटल कानक बाली यौ
भोर भेल अछि बाजल कौआ
कानबात नै दैछि यौ ।। आहाँ जुनि......
संगक सखी परिहास करत सब
तकरो तनिक बिचार करू
बात राति भरि आहाँ के मानल
अते विनय स्वीकार करु
"रमण" सुमन केर सूक्ष्म पराग हूँ
कियक जियान करैछी यौ ।। आहाँ जुनि...
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
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