|| ई , युगे अइ छुतहर ||
ई , युगे अइ छुतहर
मेटत के अकरा ।
बुधियारक बाप सब
बुद्धि देब केकरा ।।
अइ नीक होनिहारी
त बैसू दलान पर ।
किछु कियो कहय त
राखू नै कान पर ।।
सब लुलकारि देत
जुनि पढू फकरा ।। ई युगे-----------
घरनी जे कहैया
चुपचाप करु ।
गीताक ज्ञान ध्यान
ताक पर धरु ।।
वैह लुलकारि लेत
कहबै गय जेकरा ।। ई युगे-----------
पूतक बात सब
माथ पर राखु ।
ओहि सं आगाँ यौ
किछु नै भाषू ।।
"रमण" के सुनब नै
त बनिजायब बकरा ।। ई युगे---------
रचनाकार
रेवती रमण झा " रमण "
ई , युगे अइ छुतहर
मेटत के अकरा ।
बुधियारक बाप सब
बुद्धि देब केकरा ।।
अइ नीक होनिहारी
त बैसू दलान पर ।
किछु कियो कहय त
राखू नै कान पर ।।
सब लुलकारि देत
जुनि पढू फकरा ।। ई युगे-----------
घरनी जे कहैया
चुपचाप करु ।
गीताक ज्ञान ध्यान
ताक पर धरु ।।
वैह लुलकारि लेत
कहबै गय जेकरा ।। ई युगे-----------
पूतक बात सब
माथ पर राखु ।
ओहि सं आगाँ यौ
किछु नै भाषू ।।
"रमण" के सुनब नै
त बनिजायब बकरा ।। ई युगे---------
रचनाकार
रेवती रमण झा " रमण "
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