|| मंगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ||
प्यार पावन वसन्तक उधारे रहल,
मंगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ।
हम चितवन के उपवन में हेरि रहल,
हे सुकन्या बताबू कहाँ छी आहाँ ।।
प्यार पावन........
पाँखि देलैन नइ हमरा विधाता हयै,
पार सात समन्दर में ढूंढि लितौ ।
विधुवदनी सुभांगी सुनयना सुनूं ,
चान पूनम के बनि आइ आबू आहां ।।
प्यार पावन.......
चित लागल तय् लागल आहां सं कोना,
जानि पौलहुं नइ छन में छनाके भेलै ।
मूक नैनाक भाषा नइ पढ़ि हम पेलौ,
एक तूफान दिल में द गेलौ आहाँ ।।
प्यार पावन.......
स्वर्ग भू पर कतौ त आहाँक प्यार अई ,
"रमण" बाकी जतेक सब बेकार अई ।
छी प्रेमक पुजारी भिखारी बनल,
बुन्द स्वाति वरषि बनि आबू आहाँ ।।
प्यार पावन.......
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
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