एकटा छथि,माँ जगजननी महाकाली !सभक रक्षनार्थ,दुखिया के दुःखहारिणीपालनकारिणि महागौड़ीके नहि जनैछ हिनक महिमा..माँ जगदम्बा !तें की ?ओहो त स्त्रिये छथि ..ओ त भवभंजनि महाकालिका थिकीहहम सभ हुनका अबला कहबनि !नहि ने ?हुनक जीबन कि अकंटक छलन्हि ?साक्षात् रणचण्डी। !त की ?हम सभ सदति ..
कथमपि नहिं .आख्यान ब्याख्यान भरल परल अछि ,पूजा अर्चना क संग ...हुनक कंटकमय गाथा सँ ..जीबन जिबाक प्रेरणा लैत छी ।हुनक कंटकमय गाथाक ...श्रवण मनन करैत छी ।तअ कहू त कियेक नहि ..हुनकहि सँ ..एहि बातक बिचार केने बिनाकियेक कनियों दुःख सँ ..अति दुःखी भए ...अपन आराध्या क आगू ...गिरगिराइत रहैत छी ,जे ओ अपराजिता ..महाकाली माएकतेक द्रवित हेतीह ..हमर सभक अकर्मण्यता पर ,तअ आऊ ..कतेक क्षुब्ध हेतीह ,पूजा उपासना कहम सभ मिलि प्रण करीजानबा , बुझबाक ...
अनर्गल अर्थ जानि ,पूजा उपासना क सही अर्थ
Maithili Sahasin Mahasabha
मंगलवार, 26 सितंबर 2017
उपासना
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